वोडका का वोह शोट
Posted byवोडका का वोह शोट ऐसे मारा था जैसे
तुमको किसी बेहेस में तगड़ा तर्क दिया हो
हाँ, था तोह एक नाटक जैसा ही--
पहले तुम्हे चाहने में वोह बन गयी थी
जो मैं नहीं थी, और अब तुमसे दूर हो कर भी
मैं मैं सी नहीं हूँ
आजकल आधी इधर आधी उधर रहती हूँ
किस बात पर बिगड़ना चाहिए किस बात पर हसना
दो बार सोचना पड़ता है
मानो तुम ही सब तय किया करते थे
सोचती हूँ जो कुछ देर और तुम्हारे साथ रहती
तुम जैसी ही सांवली हो जाती
जो खो गयी थी तुम में इस तरह
ज़ाहिर है, तुम से भी खोना ही था
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